दर्द बनकर समा गया दिल में

गज़लः १९

दर्द बनकर समा गया दिल में
कोई महमान आ गया दिल में.

 

चाहतें लेके कोई आया था
आग सी इक लगा गया दिल में.

 

झूठ में सच मिला गया कोई
एक तूफां उठा गया दिल में.

 

खुशबुओं से बदन महक उठ्ठा
फूल ऐसे खिला गया दिल में.

 

मैं अकेली थी और अंधेरा था
जोत कोई जला गया दिल में.

 

चराग़े-दिल/ ४५

3 टिप्पणियां

  1. अक्टूबर 20, 2007 at 10:17 अपराह्न

    मैं अकेली थी और अंधेरा था
    जोत कोई जला गया दिल में.

    –बहुत उम्दा. दाद कबूलें.

  2. Lahib said,

    नवम्बर 18, 2007 at 10:31 पूर्वाह्न

    ye saundhi saundhi khushbu jane kahan se aayi.
    Lagata hai koi badal barsa hai tarotaja.
    – Lahib

  3. mehhekk said,

    दिसम्बर 3, 2007 at 5:25 अपराह्न

    khubsurat naazm hai wah


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